नववर्ष पर विशेष : हावी रहा स्वार्थ का जाल, सच कहता मैं बीता साल

सुनील बाजपेई,वरिष्ठ पत्रकार,लेखक(दैनिक मनसा मेल/थर्ड आइज,पंजाब केसरी) मैं 2024 अब आपके जीवन से हमेशा के लिए चला गया हूं ,लेकिन मुझे इस बात का बहुत दुख हमेशा रहेगा कि आपने मेरे आगमन की खुशी में जो वादा किया था, उससे आप पूरी तरह से मुकर गए ,मुझ बीते 2024 की नजर में जिसकी एक मात्र वजह आपका स्वार्थ ही है, जिसके आधार पर मैं कह सकता हूं आपकी वजह से ही सामाजिक जीवन में लगातार हिंसा, अन्याय, असभ्यता, घृणा और झूठ पहले की तरह ही बरकरार है। सत्य अक्सर आज भी दम तोड़ता ही दिख रहा है। मेरे यानी बीते 2024 के मेरे कालखंड में देश का मध्यम वर्ग जिस तरह से नफरत और झूठ के पीछे खड़ा रहा , वह वाकई बेहद निराशाजनक है। सत्य काफी हद तक सिमट गया है और इस पर यकीन करने और इस पर चलने वाले लोग भी अब ना के बराबर रह गये हैं। मैं आपका बीता साल 2024 आपसे यह भी कहने से नहीं चूकना चाहता कि मीडिया और धार्मिक नेतृत्व दोनों ही एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था और उसके बचाव में मुखर हो गए हैं जो निहायत बेशर्मी से कपट, साजिश और बांटने वाले कामों में लिप्त हैं। मैंने यानी आपके बीते हुए इस साल 2024 ने अपने पूरे कालखंड में यह भी देखा...